आजकल बैंक खाताधारक अपने सेविंग अकाउंट से अतिरिक्त राशि निकालकर फिक्स्ड डिपॉजिट में लगा रहे हैं। यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि लोग ज्यादा कमाई की तलाश में हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की मुख्य वजहें।

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ब्याज दरों का बड़ा अंतर
सेविंग अकाउंट पर ब्याज बहुत कम मिलता है, आमतौर पर सालाना 2.5 से 3.5 फीसदी तक। यह राशि बढ़ने पर भी ज्यादा नहीं बदलती। दूसरी ओर, फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6 से 7.5 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है, खासकर छोटी अवधि की स्कीमों में। इससे साल भर में काफी फर्क पड़ता है। उदाहरण के लिए, 5 लाख रुपये पर सेविंग्स से महज 12-15 हजार जबकि FD से 30-35 हजार तक अतिरिक्त आय हो सकती है।
बाजार की अनिश्चितता से सुरक्षा
शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में उतार-चढ़ाव का डर रहता है। FD में रिटर्न पहले से तय होता है, जो कभी घटता नहीं। बैंकिंग सिस्टम की मजबूती से यह निवेश पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है। लोग अपनी बचत को बिना रिस्क के बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए FD पहली पसंद बन गई है।
स्वीप-इन सुविधा का कमाल
कई बैंक स्वीप-इन FD ऑफर करते हैं, जहां सेविंग अकाउंट में अतिरिक्त बैलेंस ऑटोमैटिक FD में चला जाता है। जरूरत पर वह राशि वापस आ जाती है, बिना किसी पेनल्टी के। इससे लिक्विडिटी बनी रहती है और FD का फायदा भी मिलता है। यह सुविधा आम लोगों के लिए गेम चेंजर साबित हो रही है।
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लंबी अवधि की प्लानिंग
RBI की नीतियों से ब्याज दरें बदल रही हैं। अभी FD अच्छे रेट दे रही हैं, लेकिन आगे घट सकती हैं। लोग 1 से 5 साल की FD बुक कर रहे हैं ताकि लंबे समय तक ऊंचा रिटर्न लॉक हो जाए। सीनियर सिटिजंस को 0.5 फीसदी अतिरिक्त मिलता है, जो उन्हें और आकर्षित करता है।
टैक्स और अन्य फायदे
FD पर TDS कटता है, लेकिन सीनियर सिटिजंस को छूट मिलती है। कुछ स्कीमों में मासिक ब्याज विकल्प भी है, जो पेंशन जैसा काम करता है। कुल मिलाकर, यह स्मार्ट तरीका है कमाई बढ़ाने का। अगर आपके पास सेविंग्स में अतिरिक्त पैसा पड़ा है, तो आज ही FD में शिफ्ट करें। थोड़ी प्लानिंग से आपका भविष्य सुरक्षित हो जाएगा।
















