मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच बीना से धौलपुर तक फैलने वाली 332 किलोमीटर लंबी चौथी रेल लाइन का ब्लूप्रिंट तैयार है। यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बढ़ते रेल यातायात को सहज बनाएगा, जहां पैसेंजर ट्रेनें तेज दौड़ेंगी और मालगाड़ियां बिना रुके मंजिल तक पहुंचेंगी। कुल खर्च 7300 करोड़ रुपये से ऊपर का अनुमानित है, जिसे चार सालों में पूरा करने की योजना है।

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रूट की डिजाइन और खास प्लानिंग
प्रोजेक्ट बीना से झांसी, चिरुला, सिथौली होते हुए ग्वालियर बाईपास तक पहुंचेगा। आगे मालवा कॉलेज के पास से रमौआ डैम, दिगसौली, रायरू, नूराबाद और बानमोर के बाईपास से धौलपुर जुड़ेगा। संवेदनशील इलाकों में बाईपास बनाकर मौजूदा ट्रैक पर दबाव कम होगा। पहले बनी तीसरी लाइन की तरह यह नई लाइन ट्रेनों की रफ्तार और संख्या दोनों बढ़ाएगी। इससे मेल-एक्सप्रेस ट्रेनें स्टेशनों पर आसानी से पहुंच सकेंगी।
किसानों का जमीन अधिग्रहण
रेलवे बोर्ड की हरी झंडी मिलते ही कई गांवों में सर्वे और अधिग्रहण अभियान तेज हो जाएगा। राज्य और जिला अधिकारी नोटिस जारी करेंगे, किसानों को पहले सूचना देकर उनकी सहमति ली जाएगी। भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक पुनर्वास और अन्य सुविधाएं सुनिश्चित होंगी। इससे प्रोजेक्ट में देरी न हो और किसान तुरंत फायदे उठा सकें। विवादों से बचने के लिए पारदर्शी तरीका अपनाया जाएगा।
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करोड़ों का पैकेज
प्रति एकड़ जमीन पर बाजार मूल्य से दोगुना मुआवजा मिलेगा, जो 70-80 लाख रुपये तक हो सकता है। इसमें सर्कल रेट प्लस 12% सालाना बढ़ोतरी जुड़ेगी। आवास, नौकरी और अन्य लाभ जोड़कर कुल पैकेज 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच सकता है। प्रभावित परिवार तहसील या रेलवे कार्यालय जाकर डिटेल्स ले सकेंगे। यह पैसा किसानों को नई फसलें लगाने या छोटा व्यवसाय शुरू करने में मदद करेगा।
इलाके पर अपार फायदे और भविष्य
यह लाइन व्यापार, पर्यटन और उद्योगों को नई गति देगी, हजारों रोजगार सृजित होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी मजबूत होने से बाजार तक पहुंच आसान होगी। किसान मुआवजे से आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे, जबकि युवाओं को निर्माण और रखरखाव में काम मिलेगा। कुल मिलाकर मध्य भारत का विकास रेल की पटरी पर दौड़ेगा। स्थानीय अर्थव्यवस्था चमकेगी और यात्री सुविधाएं दोगुनी हो जाएंगी।
















