उत्तराखंड की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के चेहरे पर अब मुस्कान आ गई है। राज्य सरकार ने उनकी लंबे समय की मांग मान ली और सेवानिवृत्ति पर कम से कम एक लाख रुपये की एकमुश्त राशि देने का बड़ा फैसला लिया है। यह कदम न सिर्फ उनकी मेहनत का सम्मान करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरणा देता है। गांव-गांव बच्चों की देखभाल करने वाली इन बहनों को अब आर्थिक सुरक्षा का पूरा भरोसा मिलेगा।

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नया नियम क्या लाया है?
पहले रिटायरमेंट पर मिलने वाली राशि महज 35-40 हजार रुपये तक सीमित थी, जो बढ़ती महंगाई में पर्याप्त नहीं थी। अब यह सीमा एक लाख रुपये तक पहुंच गई है, जो कार्यकर्ताओं के सालों के समर्पण का सच्चा पुरस्कार है। योजना के तहत हर कार्यकर्ता से प्रतिमाह 300 रुपये का छोटा सा योगदान लिया जाएगा। इससे एक मजबूत फंड बनेगा, जो रिटायरमेंट के समय सीधे खाते में ट्रांसफर हो जाएगा। यह व्यवस्था सरल और पारदर्शी रखी गई है, ताकि कोई भ्रम न रहे।
कब शुरू होगी यह सुविधा?
यह नया लाभ 1 अप्रैल 2026 से लागू हो जाएगा। इसी तारीख के बाद रिटायर होने वाली हर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को इसका पूरा फायदा मिलेगा। कैबिनेट स्तर पर चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया, जिसमें आंगनवाड़ी संगठनों की राय भी शामिल की गई। राज्य भर में करीब 40 हजार कार्यकर्ता और सहायिकाएं इससे जुड़ी हुई हैं। जल्द ही विभागीय आदेश जारी होने की उम्मीद है, जिसके बाद आवेदन प्रक्रिया सरल बनेगी।
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लाभों की पूरी लिस्ट
- एकमुश्त राशि: रिटायरमेंट पर न्यूनतम 1 लाख रुपये, जो सेवा अवधि के आधार पर और बढ़ सकती है।
- मासिक योगदान: सिर्फ 300 रुपये, जो सैलरी से कटेगा और ब्याज के साथ बढ़ेगा।
- अतिरिक्त सुरक्षा: अगर कार्यकर्ता की मृत्यु हो जाती है या विकलांगता आ जाती है, तो परिवार को भी विशेष सहायता मिलेगी।
- परिवार का भविष्य: यह राशि बच्चों की पढ़ाई, शादी या घर की जरूरतों में काम आएगी।
ये बदलाव आंगनवाड़ी सिस्टम को और मजबूत बनाएंगे। कार्यकर्ताओं को अब नौकरी छोड़ने का डर नहीं सताएगा।
आंगनवाड़ी बहनों की भूमिका क्यों खास?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं समाज की रीढ़ हैं। ये सुबह से शाम तक बच्चों को पोषण देंती हैं, मांओं को स्वास्थ्य सलाह देती हैं और गांव की हर छोटी-बड़ी समस्या सुलझाती हैं। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में जहां पहुंच मुश्किल है, वहां इनका योगदान अमूल्य है। इस फैसले से उनकी हिम्मत और बढ़ेगी। सरकार का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बनेगा। अब ये बहनें बिना चिंता के सेवा जारी रख सकेंगी।
आगे क्या उम्मीदें?
यह योजना लागू होने के बाद कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ सकती है। विभाग ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाकर उन्हें डिजिटल स्किल्स सिखाएगा। भविष्य में मानदेय में भी वृद्धि की संभावना है। कुल मिलाकर, उत्तराखंड ने आंगनवाड़ी क्षेत्र में नया आयाम गढ़ दिया है। अगर आप भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, तो अपने नजदीकी केंद्र से अपडेट ले लें। यह बदलाव जीवन बदलने वाला साबित होगा।
















