कर्मचारियों के लिए एक बड़ा तोहफा आ गया है। अब नौकरी करने वालों को महज 12 महीने की सेवा पूरी करने पर ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। पहले जहां 5 साल का इंतजार करना पड़ता था, वह बोझ अब हट गया है। यह बदलाव श्रम क्षेत्र में क्रांति ला रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जो कॉन्ट्रैक्ट या छोटी अवधि की नौकरियां करते हैं।

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पुराने नियमों की जकड़न
पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए लगातार 5 साल की नौकरी जरूरी होती थी। अगर बीच में नौकरी छूट जाती या कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो जाता, तो यह लाभ हाथ से निकल जाता। लाखों मजदूर और कर्मचारी इससे वंचित रह जाते थे। छोटे-मोटे कामों वाले या अस्थायी स्टाफ के लिए यह नियम बड़ी बाधा था। अब हालात बदल चुके हैं।
नया नियम क्या कहता है?
अब फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयी या कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को सिर्फ 1 साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी मिलेगी। यह सुधार हाल ही में लागू हुआ है और सभी प्राइवेट कंपनियों पर असर डालेगा जहां 10 या ज्यादा कर्मचारी हैं। ट्रेनिंग पीरियड को सेवा में नहीं गिना जाएगा, लेकिन बाकी सब कुछ आसान हो गया है। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने पर भी पैसे मिलेंगे, जो कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देगा।
किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
- कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ: फैक्टरियों, आईटी कंपनियों और सर्विस सेक्टर में काम करने वाले।
- छोटी नौकरियां करने वाले: जो बार-बार जॉब स्विच करते हैं।
- महिलाएं और युवा: जो पार्ट टाइम या शॉर्ट टर्म रोल्स चुनते हैं।
यह बदलाव उन क्षेत्रों को मजबूत करेगा जहां नौकरियां अनिश्चित होती हैं। अब कर्मचारी बिना डर के नई शुरुआत कर सकेंगे।
ग्रेच्युटी की गणना आसान हुई
राशि निकालना सरल है: अंतिम बेसिक सैलरी प्लस महंगाई भत्ता गुणा 15/26 गुणा काम के साल। उदाहरण लें, अगर सैलरी 30,000 रुपये महीना है और 1 साल काम किया, तो ग्रेच्युटी करीब 17,000 रुपये बनेगी। नए नियमों से सैलरी की परिभाषा विस्तृत हुई है, जिसमें CTC का बड़ा हिस्सा शामिल हो सकता है। इससे रकम 25 से 50 फीसदी तक बढ़ सकती है। टैक्स छूट की सीमा भी ऊंची हो गई है।
कंपनियों पर क्या असर?
नियोक्ताओं को अब जल्दी भुगतान की तैयारी करनी होगी। छोटे बिजनेस को प्लानिंग करनी पड़ेगी, लेकिन कुल मिलाकर यह कर्मचारी संतुष्टि बढ़ाएगा। टर्नओवर कम होगा और प्रोडक्टिविटी ज्यादा। सरकार का यह कदम लेबर कोड्स के तहत आता है, जो पुराने कानूनों को सरल बना रहा है।
आगे क्या करें?
कर्मचारी अपने सैलरी स्लिप चेक करें और HR से बात करें। क्लेम के लिए सरकारी पोर्टल्स का सहारा लें। नौकरी बदलते समय इस लाभ को ध्यान में रखें। यह बदलाव न सिर्फ जेब भरेगा, बल्कि भविष्य की चिंता भी कम करेगा। कुल मिलाकर, कामकाजी लोगों के लिए सुनहरा दौर शुरू हो गया है।

















