भारत में डिजिटल कंटेंट की दुनिया में बड़ा बदलाव आ रहा है। सरकार ने अश्लील और अनुचित सामग्री फैलाने वाले 43 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर पूरी तरह रोक लगा दी है। यह कदम परिवारों और युवाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से उठाया गया है, जहां बिना किसी फिल्टर के हानिकारक वीडियो आसानी से उपलब्ध हो रहे थे। अब इंटरनेट यूजर्स इन प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच ही नहीं पाएंगे।

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अश्लील कंटेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई का कारण
ओटीटी सेवाओं का दायरा तेजी से बढ़ा है, लेकिन साथ ही जिम्मेदारी की कमी ने समस्या खड़ी कर दी। कई ऐप्स पर बिना सेंसरशिप के अत्यधिक हिंसक, यौनिक या सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य सामग्री परोसी जा रही थी। सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का हवाला देकर इंटरनेट प्रदाताओं को निर्देश जारी किए। पहले चरण में ही दर्जनों प्लेटफॉर्म्स की पहचान कर उन्हें ब्लॉक कर दिया गया। इससे न केवल बच्चों को खतरा कम होगा, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों की रक्षा भी मजबूत होगी।
कौन से प्लेटफॉर्म्स हुए प्रभावित?
इनमें ज्यादातर छोटे-मोटे ऐप्स शामिल हैं जो विशेष रूप से संवेदनशील कंटेंट पर फोकस करते थे। कुछ नाम जैसे उल्लू, प्राइम प्ले या डेसिफ्लिक्स पहले भी जांच के दायरे में आए थे। कुल 43 प्लेटफॉर्म्स अब भारत में अनुपलब्ध हैं। लोकसभा में मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई नियमों के उल्लंघन पर आधारित है। कंपनियों को चेतावनी दी गई है कि अनुपालन न करने पर उनकी वैधता खत्म हो जाएगी।
सोशल मीडिया के लिए नई गाइडलाइंस क्या हैं?
ओटीटी के साथ-साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भी नजरें तरेर ली गई हैं। अब बड़े प्लेटफॉर्म्स को भारत में स्थानीय प्रतिनिधि रखना पड़ेगा। शिकायत निपटाने के लिए 24 से 72 घंटे का समय सीमित किया गया है। फेक न्यूज, डीपफेक वीडियो या फर्जी प्रोफाइल्स पर तत्काल कार्रवाई जरूरी होगी। 50 लाख से अधिक यूजर्स वाले अकाउंट्स को मासिक रिपोर्ट सबमिट करनी पड़ेगी। इससे प्लेटफॉर्म्स खुद को साफ रखने को मजबूर होंगे।
तीन चरणों वाली निगरानी प्रणाली
सरकार ने एक मजबूत तंत्र बनाया है। पहला स्तर पर प्लेटफॉर्म खुद कंटेंट की जांच करेगा। दूसरा, स्व-नियामक संस्थाएं नजर रखेंगी। तीसरा, केंद्र स्तर पर हस्तक्षेप होगा। कंटेंट को उम्र के आधार पर वर्गीकृत करना अनिवार्य है, जैसे कि बच्चों के लिए सख्त प्रतिबंध। सेंसर बोर्ड का सीधा दखल ओटीटी पर नहीं, लेकिन आईटी नियम सर्वोपरि रहेंगे। यह व्यवस्था पारदर्शिता लाएगी।
भविष्य में क्या बदलाव दिखेंगे?
ये नियम डिजिटल इंडिया को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं। प्लेटफॉर्म्स को अब निवेश के साथ अनुपालन पर ध्यान देना होगा। यूजर्स के लिए फायदा यह है कि सुरक्षित ब्राउजिंग का अनुभव मिलेगा। हालांकि, कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश मान सकते हैं, लेकिन प्राथमिकता सार्वजनिक हित की है। आने वाले दिनों में और सख्ती संभव है, जिससे ऑनलाइन स्पेस जिम्मेदार बनेगा।
















