गूगल अपनी एक महत्वपूर्ण डिजिटल सुरक्षा सुविधा को अलविदा कहने वाला है, जिसका असर लाखों-करोड़ों उपयोगकर्ताओं पर सीधे तौर पर पड़ेगा। यह सर्विस यूजर्स को इंटरनेट की गहरी परतों में उनकी निजी जानकारियों के खतरे के बारे में अलर्ट करती रही है। अब यह सुविधा धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी, जिससे यूजर्स को अपनी ऑनलाइन सुरक्षा खुद संभालनी पड़ेगी।

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डार्क वेब रिपोर्ट क्या करती थी?
यह फीचर उपयोगकर्ताओं के ईमेल, फोन नंबर और अन्य व्यक्तिगत डेटा को डार्क वेब पर लीक हुए डेटाबेस में खोजता था। अगर कहीं डेटा ब्रीच हो जाता, तो तुरंत नोटिफिकेशन मिल जाता, जिससे यूजर सतर्क हो सके। शुरू में यह प्रीमियम सब्सक्रिप्शन वालों के लिए था, लेकिन बाद में सभी के लिए मुफ्त हो गया। इससे करोड़ों लोग अपनी डिजिटल पहचान की निगरानी कर पाए।
बंद होने का शेड्यूल और कारण
कंपनी ने दो चरणों में इस सुविधा को बंद करने का प्लान बनाया है। पहले चरण में नई स्कैनिंग रुक जाएगी, उसके बाद पूरी सर्विस हटा दी जाएगी। यूजर फीडबैक से पता चला कि यह सिर्फ अलर्ट देती थी, लेकिन आगे के कदम सुझाने में कमजोर थी। इसलिए फोकस अब ज्यादा प्रभावी टूल्स पर शिफ्ट हो रहा है, जो न सिर्फ खतरा बताएं बल्कि उसे रोकने के व्यावहारिक उपाय दें।
यूजर्स पर क्या पड़ेगा असर?
इसके बंद होने से यूजर्स को डेटा लीक की जानकारी खुद ढूंढनी पड़ेगी, जो एक बड़ी चुनौती है। खासकर भारत जैसे देश में, जहां साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, करोड़ों लोग प्रभावित होंगे। छोटे व्यवसायी, स्टूडेंट्स और आम यूजर्स अपनी गोपनीयता के लिए चिंतित हो सकते हैं। हालांकि, यह बदलाव लंबे समय में बेहतर सुरक्षा का रास्ता खोलेगा।
अब क्या करें यूजर्स? सुरक्षा टिप्स
- हर अकाउंट के लिए अलग और जटिल पासवर्ड यूज करें, पासवर्ड मैनेजर की मदद लें।
- हर जगह 2FA ऑन करें ताकि लॉगिन सुरक्षित रहे।
- अकाउंट सेटिंग्स में कमजोर पासवर्ड स्कैन करें और अनचाहे ऐप्स हटाएं।
- अभी प्रोफाइल डेटा मैन्युअली क्लियर कर दें।
- मार्केट में कई थर्ड-पार्टी सर्विसेज उपलब्ध हैं जो डार्क वेब मॉनिटरिंग करती हैं।
यह कदम गूगल की नई रणनीति का हिस्सा है, जो यूजर्स को सशक्त बनाने पर जोर देती है। कुल मिलाकर, ऑनलाइन दुनिया में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार बनेगी।
















