भारत के दूरदराज इलाकों में तेज इंटरनेट की कमी अब इतिहास बनने वाली है। एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी का स्टारलिंक सैटेलाइट नेटवर्क अंततः सरकारी मंजूरी पा गया है, जो पहाड़ी क्षेत्रों, गांवों और जंगलों तक हाई-स्पीड कनेक्टिविटी पहुंचाएगा। ये सेवा पारंपरिक फाइबर या टावरों पर निर्भर नहीं रहेगी, बल्कि आसमान से सीधे सिग्नल भेजेगी। लाखों लोग अब वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन पढ़ाई और बिजनेस को बिना रुकावट चला सकेंगे।

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मंजूरी का सफर पूरा हुआ
कई साल की मेहनत के बाद स्टारलिंक को भारत के स्पेस रेगुलेटर से पांच साल का कमर्शियल लाइसेंस मिला। टेलीकॉम विभाग से पहले ही जीएमपीसीएस परमिट हासिल हो चुका था, अब स्पेक्ट्रम और गेटवे सेटअप पर काम तेज हो गया। बड़े शहरों जैसे मुंबई, नोएडा और कोलकाता में नौ गेटवे स्टेशन बन रहे हैं, जो पूरे देश को कवर करेंगे। सरकार ने सिक्योरिटी नियम सख्ती से लागू किए हैं, ताकि डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहे और विदेशी सर्वरों पर न जाए।
ग्रामीण भारत में कैसे बदलेगी तस्वीर?
देश के 60 करोड़ से ज्यादा ग्रामीणों के पास अभी इंटरनेट की पहुंच महज 30 फीसदी है। स्टारलिंक के कम ऊंचाई वाले सैटेलाइट 25 से 220 मेगाबिट प्रति सेकंड की स्पीड देंगे, साथ ही कम लेटेंसी से वीडियो कॉल्स और गेमिंग संभव हो जाएगी। बाढ़, भूकंप या पहाड़ी रास्तों में जहां तारें टूट जाते हैं, वहां ये सेवा बिना रुके चलेगी। किसान मौसम अपडेट, छात्र ई-लर्निंग और डॉक्टर टेलीमेडिसिन से जुड़ सकेंगे, जिससे डिजिटल डिवाइड खत्म होगा।
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प्लान्स और खर्च का अनुमान
स्टारलिंक किट जिसमें डिश एंटीना और राउटर शामिल है, उसकी एकमुश्त कीमत लगभग 30-33 हजार रुपये हो सकती है। मासिक प्लान 3,000 से 4,500 रुपये तक शुरू होगा, जो अनलिमिटेड डेटा पर निर्भर करेगा। शुरुआत में 2 मिलियन यूजर्स तक सीमित रखा जाएगा, ताकि मौजूदा नेटवर्क पर बोझ न पड़े। लॉन्च 2025 के आखिर या 2026 की शुरुआत में हो सकता है, पहले दूरस्थ इलाकों पर फोकस रहेगा।
टेलीकॉम बाजार पर क्या असर?
जियो, एयरटेल और वनवेब जैसे प्लेयर्स को चुनौती मिलेगी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां फाइबर बिछाना महंगा पड़ता है। स्टारलिंक मौजूदा सेवाओं को सपोर्ट करेगा, न कि बदल देगा, जिससे कीमतें सस्ती होंगी और कॉम्पिटिशन बढ़ेगा। भारत जैसे विशाल बाजार में ये नया दौर लाएगा, जहां 1.4 अरब लोग डिजिटल दुनिया से जुड़ सकेंगे। कुल मिलाकर, स्टारलिंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पंख देगा और भारत को ग्लोबल डिजिटल हब बनाने में मदद करेगा।
















