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इंदौर-मनमाड़ रेललाइन के लिए 19 गांवों में अधिग्रहण शुरू! मुंबई की दूरी होगी 250KM कम, एमपी के इन जिलों को होगा बड़ा फायदा

इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन प्रोजेक्ट में तेजी: एमपी के इंदौर जिले में 19 गांवों की 905 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण शुरू। 30 दिनों में दावे-आपत्तियाँ सुनी जाएंगी। 309 किमी लाइन से इंदौर-मुंबई दूरी 250 किमी कम, 5 घंटे बचेगी यात्रा। 18,036 करोड़ का प्रोजेक्ट दो राज्यों को जोड़ेगा।

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indore manmad rail line update

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच बन रही इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन अब अपने अहम चरण में पहुँच चुकी है। इस प्रोजेक्ट को लेकर लंबे समय से चल रही तैयारी अब जमीन पर उतरने लगी है। रेल मंत्रालय ने इंदौर जिले में 19 गांवों की जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत 30 दिनों के भीतर दावे और आपत्तियाँ सुनी जाएंगी ताकि प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से पूरी की जा सके।

इस रेल लाइन को लेकर पिछले साल केंद्र सरकार से अनुमति मिल चुकी थी, और अब अधिग्रहण की शुरुआत के साथ इसका निर्माण कार्य भी तय समयसीमा में शुरू होने की उम्मीद है।

विकास से जुड़ा अहम रेल नेटवर्क

इंदौर और मनमाड़ के बीच बनने वाली यह रेल लाइन न सिर्फ दो राज्यों को जोड़ेगी, बल्कि पूरे पश्चिम और मध्य भारत की कनेक्टिविटी को नया आयाम देगी। यह परियोजना 309 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें से 170.56 किलोमीटर हिस्सा मध्य प्रदेश और शेष भाग महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा।

रेलवे ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से न केवल माल ढुलाई आसान होगी बल्कि यात्रियों के लिए यात्रा समय में भी बड़ी कटौती होगी। विशेष रूप से इंदौर और मुंबई के बीच सीधा रेल संपर्क स्थापित होने से व्यापारिक गतिविधियाँ और तेज़ होंगी।

19 गांवों में अधिग्रहण की प्रक्रिया

रेलवे मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के तहत इंदौर जिले के 19 गांवों में जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। इसमें इंदौर के अलावा धार और बड़वानी जिले के कुछ गाँव भी शामिल हैं। कुल मिलाकर 905 हेक्टेयर जमीन इस प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की जाएगी।

इस प्रक्रिया में प्रभावित किसानों को मुआवजा राशि, रोजगार और पुनर्वास से जुड़ी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। रेलवे ने स्पष्ट कहा है कि किसी भी जमीन पर कब्जा तभी लिया जाएगा जब आपत्तियों का समाधान हो जाएगा।

250 किलोमीटर घटेगी दूरी, 5 घंटे बचेंगे सफर में

रेल लाइन बनने के बाद इंदौर और मुंबई के बीच की दूरी लगभग 250 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। वर्तमान में इस मार्ग से यात्रा करने में औसतन 11 से 12 घंटे लगते हैं, जबकि नई लाइन बनने के बाद यह समय घटकर सिर्फ 6 से 7 घंटे रह जाएगा। रेलवे विभाग का कहना है कि इससे प्रदेश के उद्योगों को भी बड़ा फायदा होगा क्योंकि मालगाड़ियों की रफ्तार बढ़ेगी और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट लागत में कमी आएगी।

उत्तर-दक्षिण और पश्चिम भारत को जोड़ेगी नई लाइन

इस लाइन का निर्माण होने पर इंदौर की कनेक्टिविटी जम्मू-कश्मीर और दिल्ली जैसे उत्तरी राज्यों से और भी मजबूत होगी। साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के शहरों से भी यात्रा सुगम हो जाएगी। यह लाइन मालवांचल क्षेत्र के लिए “आर्थिक कॉरिडोर” का काम करेगी जिससे व्यापार, पर्यटन और निवेश के नए अवसर पैदा होंगे।

रेलवे योजना के तहत इस पूरी परियोजना पर लगभग 18,036 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। काम पूरा होते ही यह मध्य भारत की सबसे तेज और आर्थिक दृष्टि से लाभकारी रेल मार्गों में शामिल हो जाएगी।

स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार और मुआवजा

इंदौर जिले और आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए यह परियोजना रोजगार का बड़ा स्रोत बनेगी। जमीन देने वाले किसानों को बाजार दर से अधिक मुआवजा देने की योजना तैयार की गई है। वहीं, प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान स्थानीय युवाओं को श्रमिक एवं तकनीकी कार्यों में प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि लोगों को परियोजना विकास में भागीदार बनाया जाए ताकि यह केवल इंफ्रास्ट्रक्चर का नहीं, बल्कि जनसहभागिता आधारित विकास मॉडल बन सके।

इंदौर से मुंबई अब और करीब

इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद इंदौर और मुंबई के बीच यात्रा का रूप पूरी तरह बदल जाएगा। फिलहाल यह सफर ट्रेन से लंबा और जटिल है, लेकिन नई लाइन शुरू होने पर इंदौर से मुंबई सिर्फ कुछ घंटों की दूरी पर रह जाएगी।

यह मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी की कनेक्टिविटी को नई ताकत देगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा। न केवल यात्री बल्कि बिजनेस समुदाय को भी इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा।

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