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घर खरीदना बेहतर या रेंट पर रहना? सालों पुरानी बहस का सही जवाब जानें, इसके बाद कोई कन्फ्यूजन नहीं बचेगा

सालों से चल रही यह बहस अब खत्म! एक्सपर्ट्स ने साफ बताया कि घर खरीदना फायदे का सौदा है या किराए पर रहना बेहतर। इसके बाद आप भी समझ जाएंगे कि अपने पैसे कहाँ लगाना है।

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घर खरीदने या किराए पर रहने का सवाल हर मध्यमवर्गीय परिवार के दिमाग में घूमता रहता है। आज के दौर में बढ़ती महंगाई और बदलते बाजार में यह फैसला आपकी आर्थिक आजादी तय कर सकता है। चलिए गहराई से समझते हैं कि कौन सा रास्ता आपके लिए सही है।

घर खरीदना बेहतर या रेंट पर रहना? सालों पुरानी बहस का सही जवाब जानें, इसके बाद कोई कन्फ्यूजन नहीं बचेगा

घर खरीदने का आकर्षण

घर खरीदना एक दीर्घकालिक निवेश है। समय के साथ संपत्ति का मूल्य बढ़ता जाता है, खासकर शहरों में जहां मांग हमेशा ऊंची रहती है। आपकी मेहनत की कमाई एक ठोस संपत्ति में बदल जाती है, जो आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षा देती है। इसके अलावा, स्थिरता मिलती है – न कोई किराया बढ़ोतरी की चिंता, न मकान मालिक की दखल। परिवार के साथ अपनी मर्जी से जीने का सुकून कुछ और नहीं।

खरीदने के छिपे खर्चे

लेकिन घर खरीदना इतना आसान नहीं। शुरुआत में बड़ा डाउन पेमेंट देना पड़ता है, जो कई सालों की बचत निगल सकता है। लोन लेने पर मासिक किस्तें किराए से ज्यादा बोझिल हो जाती हैं। रखरखाव, मरम्मत और संपत्ति कर हर साल हजारों रुपये खर्च कराते हैं। अगर नौकरी बदली या बाजार नीचे गिरा, तो फंस जाना मुश्किल है।

किराए पर रहने की आजादी

किराए पर रहना लचीलापन देता है। कम पैसे से शुरूआत हो जाती है – सिर्फ डिपॉजिट और मासिक भुगतान। बचे हुए पैसे शेयर बाजार या फंड्स में लगाकर अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं। नौकरी के लिए शहर घूमना आसान, बिना बिक्री की झंझट के। युवा प्रोफेशनल्स के लिए यह बेस्ट ऑप्शन है, जहां करियर पहले है।

किराए की कमियां नजरअंदाज न करें

हालांकि, किराया हर साल बढ़ता है, जो लंबे समय में खरीदने से महंगा साबित हो सकता है। कोई स्थायी संपत्ति नहीं बनती, सिर्फ पैसे का बहाव। मकान मालिक की मर्जी से कहीं भी बेदखली का डर रहता है। 10-15 साल बाद गिनती करें तो किराए पर उड़े पैसे घर खरीदने का मौका दे सकते थे।

आपका सही फैसला कैसे चुनें

यह फैसला आपकी स्थिति पर निर्भर करता है। अगर 5-7 साल एक जगह रहने का प्लान है, स्थिर कमाई है और परिवार बड़ा हो रहा है, तो घर खरीदें। वरना, अगर करियर में उछाल की उम्मीद है या बचत कम है, किराए पर रहकर निवेश करें। अपनी मासिक आय का 30% से ज्यादा किस्त या किराए पर न खर्च करें। ऑनलाइन कैलकुलेटर से नंबर्स चेक करें – EMI बनाम किराया + निवेश रिटर्न। अंत में, भावनाओं के साथ तथ्यों का बैलेंस रखें। सही प्लानिंग से दोनों में फायदा संभव है।

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