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Education News: DM ने 45 साल पुराना आदेश किया लागू! शिक्षकों में मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

जिले के DM ने अचानक एक पुराने शासनादेश को किया लागू, जिससे शिक्षकों में हड़कंप मच गया। क्या इस आदेश से तबादले रुक जाएंगे या फिर नई कार्रवाई होगी? जानें पूरा मामला और सरकार की मंशा।

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उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में जिलाधिकारी ने एक लंबे समय से सोए हुए नियम को जागृत कर दिया है। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन शिक्षक समुदाय में इससे खलबली मच गई है। पुराने दिनों का यह आदेश अब सख्ती से लागू होने से स्कूलों का माहौल बदलने लगा है।

Education News: DM ने 45 साल पुराना आदेश किया लागू! शिक्षकों में मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

पुराने आदेश का इतिहास

यह नियम करीब चार दशक पुराना है, जो 1980 के दशक में राज्य सरकार ने जारी किया था। उस समय का उद्देश्य शिक्षकों को छात्रों के करीब रखना था ताकि पढ़ाई निर्बाध चले। लंबे समय तक भुला दिया गया यह नियम अब स्थानीय शिकायतों के बाद फिर सामने आया है। जिला प्रशासन ने इसे तुरंत प्रभाव से सक्रिय कर दिया, जिससे सरकारी स्कूलों में नई बहस छिड़ गई।

नियम की प्रमुख शर्तें

अब शिक्षकों को अपने नियुक्ति वाले स्कूल से अधिकतम आठ किलोमीटर की दूरी पर ही आवास लेना होगा। अगर किसी कारणवश कहीं और रहना हो, तो उच्च अधिकारी से पहले अनुमति जरूरी होगी। यह व्यवस्था दैनिक उपस्थिति सुनिश्चित करने और थकान कम करने के लिए है। ग्रामीण इलाकों में तैनात शिक्षकों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, जहां सुविधाएं सीमित हैं।

शिक्षकों पर क्यों पड़ी मार?

कई शिक्षक जिले के शहरों जैसे देहरादून या ऋषिकेश में परिवार के साथ रहते हैं, जो स्कूलों से सत्तर से अस्सी किलोमीटर दूर हैं। लंबी यात्रा से थकान होती है, जिसका असर क्लासरूम पर दिखता है। अब उन्हें स्कूल के आसपास किराए का मकान ढूंढना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से पारिवारिक जीवन प्रभावित होगा। महिला शिक्षिकाओं के लिए यह चुनौती और बड़ी है।

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छात्रों को क्या फायदा?

यह बदलाव छात्रों के हित में है। नियमित उपस्थिति से कक्षाएं समय पर चलेंगी और पढ़ाई का स्तर ऊंचा होगा। देरी से आने की समस्या खत्म हो जाएगी, जिससे अभिभावकों का विश्वास बढ़ेगा। जिला प्रशासन अब सभी शिक्षकों की सूची तैयार करवा रहा है ताकि पालन पर नजर रखी जा सके। लंबे समय में यह शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने का कदम साबित हो सकता है।

भविष्य की संभावनाएं और बहस

शिक्षक संगठन इसकी खिलाफत कर रहे हैं और बातचीत की मांग कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि आवास सुविधाएं पहले उपलब्ध करानी चाहिए। वहीं प्रशासन का कहना है कि यह छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी है। आने वाले दिनों में इस पर और चर्चा हो सकती है। कुल मिलाकर, यह घटना शिक्षा विभाग में सुधार की नई शुरुआत का संकेत दे रही है।

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