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बच्चों के साथ ‘धुरंधर’ देखने पहुंचे थे मम्मी-पापा, बीच में रोकी गई मूवी! जो हुआ, वो हर पैरेंट्स को पता होना चाहिए

बच्चों संग 'धुरंधर' फिल्म देखने पहुंचे पैरेंट्स के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे कोई सोच भी नहीं सकता! बीच शो में फिल्म रोक दी गई और जो वजह सामने आई, वो हर मां-बाप के लिए सीख बन सकती है।

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कल्पना कीजिए, शाम का समय है, मॉल का सिनेमा हॉल चमक रहा है। मम्मी-पापा अपने 4-5 साल के नन्हे-मुन्नों को लेकर धुरंधर फिल्म का मजा लेने पहुंचे। ऑनलाइन टिकट बुक हो चुका, पॉपकॉर्न रेडी, लेकिन अचानक सब कुछ उलट-पुलट! फिल्म बीच में रुक गई, चीख-पुकार मच गई। यह कहानी हर उस पैरेंट की हो सकती है जो फिल्म चुनते वक्त सावधानी नहीं बरतते।

बच्चों के साथ 'धुरंधर' देखने पहुंचे थे मम्मी-पापा, बीच में रोकी गई मूवी! जो हुआ, वो हर पैरेंट्स को पता होना चाहिए

फिल्म रेटिंग का राज खुला

धुरंधर जैसी एक्शन से भरपूर फिल्में हमेशा रोमांचक लगती हैं, लेकिन इनकी सच्चाई स्क्रीन के पीछे छिपी होती है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन हर मूवी को U, UA, A या S रेटिंग देता है। A मतलब सिर्फ बड़े लोग, क्योंकि इसमें तेज हिंसा, गालियां और mature टॉपिक्स भरे पड़े हैं। बच्चे इनके संपर्क में आएं तो उनका नाजुक दिमाग भटक सकता है। पैरेंट्स ने सोचा शायद हल्की फिल्म होगी, लेकिन हकीकत सामने आते ही हंगामा खड़ा हो गया। थिएटर स्टाफ ने साफ मना किया—बच्चों के साथ एंट्री बैन!

हॉल में क्या-क्या हुआ बवाल

टिकट चेक करते ही गेट पर बहस शुरू। पैरेंट्स ने जिद पकड़ ली, बोले टिकट वैलिड है तो अंदर जाओगे। स्टाफ ने नियम बताया, लेकिन बात बिगड़ गई। अंदर घुसकर सीट ले ली, फिल्म चालू हुई। बीच में बच्चों के रोने की आवाज आई, दर्शक परेशान। मैनेजमेंट ने लाइट जला दी, स्क्रीन ऑफ! सबके सामने परिवार को बाहर निकाला गया। चिल्लाहट, धक्का-मुक्की—पूरी शो रुक गई। बाहर खड़े लोग वीडियो बनाते रहे, जो बाद में सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। लाखों ने देखा, सबने पैरेंट्स की लापरवाही को कोसा।

थिएटर नियम क्यों इतने सख्त?

सिनेमा हॉल्स में सेफ्टी और कम्फर्ट का ख्याल रखना जरूरी है। बच्चे अगर गलत कंटेंट देख लें तो मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है—डर, आक्रामकता या नींद न आना। थिएटर वाले टिकट बुकिंग के समय चेतावनी देते हैं, लेकिन ऑनलाइन सिस्टम में कभी-कभी चूक हो जाती। इस घटना ने पूरे शहर को हिला दिया। मैनेजमेंट ने साफ कहा—A रेटेड शो में बच्चों की एंट्री सख्ती से वर्जित। पैरेंट्स को रिफंड मिला, लेकिन शाम खराब हो गई। अब सवाल उठा: क्या ऑनलाइन बुकिंग में उम्र वेरिफिकेशन जरूरी हो?

पैरेंट्स के लिए गोल्डन रूल्स

फिल्म चुनते समय सबसे पहले रेटिंग चेक करें। ऐप्स या वेबसाइट पर U/A वाली फैमिली मूवीज सर्च करें। बच्चे 12 साल से कम हों तो घर पर एनिमेटेड या कार्टून चुनें। थिएटर जाते वक्त स्टाफ से कन्फर्म करें। अगर बच्चा रोने लगे तो बाहर ले आएं। यह घटना चेतावनी है—मजा लेना है तो स्मार्ट बनें। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई: कुछ पैरेंट्स बोले नियम सख्त हैं, तो कुछ बोले थिएटर ने ओवररिएक्ट किया। लेकिन सच्चाई यही है, बच्चों का भविष्य बचाना हमारी जिम्मेदारी।

आगे क्या सबक लें हम सब

ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं क्योंकि हर कोई स्टार कास्ट देखकर भागता है। धुरंधर जैसी फिल्में बड़े दर्शकों के लिए हैं—रणवीर का धमाका, एक्शन का तड़का। लेकिन फैमिली आउटिंग के लिए नहीं। अगली बार प्लान बनाते वक्त रिसर्च करें। बच्चे खुश रहें, शाम यादगार बने। वरना थिएटर से लौटकर घर पर ही झगड़ा हो जाएगा! यह वाकया हर पैरेंट को सोचने पर मजबूर कर देगा। सावधानी ही सुरक्षा है।

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