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560 KM गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर बड़ी अपडेट! UP-बिहार-बंगाल जुड़ेंगे, सफर होगा 6 घंटे कम

गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बन रहा 560 किमी एक्सप्रेसवे यात्रा का चेहरा बदल देगा! यूपी, बिहार और बंगाल पहली बार हाइवे से एकजुट होंगे—सिर्फ 6 घंटे में पहुंचे मंज़िल, जानिए क्या है इस प्रोजेक्ट की खासियत।

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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक बनने वाला यह विशाल एक्सप्रेसवे तीन राज्यों को जोड़कर यात्रा को अभूतपूर्व रूप से तेज कर देगा। लगभग 560 किलोमीटर लंबी यह सड़क मौजूदा रास्तों की तुलना में सफर को 6 घंटे से ज्यादा छोटा कर देगी, जिससे व्यापार और पर्यटन में नई जान फूलेगी। ग्रीनफील्ड मॉडल पर आधारित यह प्रोजेक्ट देश की भारतमाला योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भविष्य की यातायात जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।

560 KM गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर बड़ी अपडेट! UP-बिहार-बंगाल जुड़ेंगे, सफर होगा 6 घंटे कम

एक्सप्रेसवे की प्रमुख खासियतें

यह चार लेन वाली सुपरफास्ट सड़क शुरुआत में बनेगी, जो बाद में छह लेन तक बढ़ाई जा सकेगी। वाहन यहां 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकेंगे, जिसमें बड़े पुलों का निर्माण नदियों जैसे गंडक और कोसी पर होगा। कुल लागत 32 से 41 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है, जो आर्थिक विकास को गति देगी। सुरक्षा के लिए आधुनिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल हो रहा है, ताकि मौसम की मार झेलने वाली इस पट्टी में यात्रा हमेशा सुगम रहे।

पूरा रूट और जुड़ने वाले इलाके

गोरखपुर से निकलकर यह एक्सप्रेसवे कुशीनगर होते हुए बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे जिलों को छुएगा। कुल 300 से ज्यादा गांव इससे जुड़ेंगे, जो सीमांचल क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़ेगा। सिलीगुड़ी पहुंचते-पहुंचते यह नेपाल बॉर्डर के साथ-साथ चिकन नेक कॉरिडोर को मजबूत वैकल्पिक रास्ता दे देगा। हालिया बदलावों से किशनगंज में 70 किलोमीटर का अतिरिक्त हिस्सा जुड़ गया है, जिससे स्थानीय विकास को बल मिला।

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आर्थिक और सामाजिक फायदे

इस सड़क से किसानों को फसलें जल्द बाजार पहुंचाने का मौका मिलेगा, जबकि उद्योगपतियों को सस्ता लॉजिस्टिक्स। पर्यटन में डबल इंजन की तरह तेजी आएगी, क्योंकि पूर्वोत्तर राज्यों का रास्ता छोटा हो जाएगा। रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां फैक्ट्रियां और वेयरहाउस उमरेंगी। ईंधन बचत और समय की कमी से कारोबारियों को सालाना करोड़ों का फायदा होगा, साथ ही रियल एस्टेट में उछाल देखने को मिलेगा।

निर्माण की ताजा प्रगति

भूमि अधिग्रहण का काम तेज रफ्तार पकड़ चुका है, खासकर बिहार के चंपारण और सीमांचल जिलों में गांवों की नापजोख तेज हो गई। डीपीआर मंजूर हो चुका है और 2028 तक पूरा होने का लक्ष्य है। ग्रामीणों को मुआवजा मिलने से उत्साह है, जबकि एनएचएआई की टीमें रूट चार्ट फाइनल कर रही हैं। आने वाले महीनों में भारी मशीनें उतरेंगी, जो इस सपने को हकीकत बनाएंगी। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ सड़क बनेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की किस्मत बदल देगा।

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