इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है, जहां लाखों लोग रहते हैं। यहां पापुआ इलाके के दूरस्थ डानी कबीले में एक ऐसी परंपरा चली आ रही है जो बाहर के लोगों को हैरान कर देती है। परिवार में किसी अपने की मौत पर महिलाएं शोक जताने के लिए अपनी उंगलियां काट लेती हैं। ये रिवाज सदियों से चला आ रहा है और कबीले की संस्कृति का अहम हिस्सा है।

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शोक का दर्दनाक प्रतीक
डानी महिलाओं के लिए उंगली काटना गहरे दुख का सबसे बड़ा संकेत होता है। जब मां, बाप, भाई, बहन या बच्चे की मौत हो जाती है, तो वे बिना सोचे अपनी उंगली का टुकड़ा अलग कर देती हैं। ऐसा करने से उनका दर्द हमेशा के लिए उनके हाथों पर नजर आता रहता है। कबीले वाले मानते हैं कि ये बलिदान मृत आत्मा को शांति देता है और परिवार को बुरी शक्तियों से बचाता है। कई महिलाओं के हाथों पर 2-3 उंगलियां अधरंगी दिखाई देती हैं, जो उनके खोए हुए अपनों की याद दिलाती हैं।
काटने की भयावह प्रक्रिया
ये काम बिना किसी नशीली दवा के किया जाता है। पहले उंगली के जोड़ पर मोटी रस्सी या डोरी कसकर बांध दी जाती है ताकि खून रुक जाए। फिर तेज धार वाली कुल्हाड़ी या चाकू से ऊपरी हिस्सा साफ काट दिया जाता है। घाव को जल्दी बंद करने के लिए गर्म पत्थर दबा दिया जाता है। दर्द सहते हुए महिलाएं चुपचाप ये सब सह लेती हैं, क्योंकि उनके लिए ये सम्मान का विषय है। छोटी बच्चियों के साथ भी कभी-कभी ऐसा ही किया जाता है, ताकि उनका जीवन लंबा और सुरक्षित रहे।
पुरुषों की भूमिका और समाज का ढांचा
हालांकि मुख्य जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है, लेकिन कभी-कभी पुरुष भी हिस्सा ले लेते हैं। कबीले में महिलाएं घर संभालती हैं और ये रिवाज उनकी ताकत दिखाता है। डानी लोग प्रकृति के करीब रहते हैं, जंगलों में बांस के घर बनाते हैं और पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। उनकी जिंदगी सरल लेकिन कठिन है, जहां हर मौत पूरे परिवार को झकझोर देती है। ये परंपरा उनके मजबूत पारिवारिक बंधनों को दर्शाती है।
बदलते समय और चुनौतियां
आजकल आधुनिकता के असर से ये रिवाज धीरे-धीरे कम हो रहा है। युवा लोग स्कूल जाते हैं, शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं और पुरानी रीतियों को छोड़ रहे हैं। सरकार ने भी इसे रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं। अब शोक में नाच-गाना, पारंपरिक भोज या सफेद कपड़े पहनना ज्यादा आम हो गया है। फिर भी, बुजुर्ग महिलाओं के हाथ आज भी इस रिवाज की सच्ची कहानी कहते हैं। ये बदलाव कबीले की संस्कृति को नया रूप दे रहा है।
क्या ये रिवाज खत्म हो जाएगा?
भविष्य में ये परंपरा पूरी तरह लुप्त हो सकती है, लेकिन ये डानी कबीले की पहचान बनी रहेगी। दुनिया के इस कोने में शोक को इतने गहरे तरीके से जीना सिखाता है कि दर्द को छिपाना नहीं, बल्कि उसे अपनाना चाहिए। इंडोनेशिया जैसे विविध देश में ऐसी हजारों कहानियां छिपी हैं जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ती हैं।
















