
हिमाचल प्रदेश सरकार ने अंतरजातीय विवाह करने वाले दंपतियों के लिए सहायता राशि में बड़ा इजाफा किया है। अंतरजातीय विवाह पुरस्कार योजना के तहत अब लाभार्थियों को 50 हजार रुपए की जगह 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिलेगी। इस संबंध में राज्य सरकार ने आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
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छुआछूत की प्रथा खत्म करने की दिशा में पहल
राज्य सरकार का मानना है कि यह कदम समाज में समानता को बढ़ावा देगा और छुआछूत जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ सकारात्मक संदेश देगा। पहले इस योजना के तहत पात्र दंपति को 50 हजार रुपए मिलते थे, लेकिन अब इस राशि को चार गुना बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया है।
किन्हें मिलेगा योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ वही दंपति उठा सकेंगे जो —
- हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी हों,
- और सामान्य वर्ग के युवक या युवती ने अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति से कानूनी विवाह किया हो।
इसके अलावा, योजना का आवेदन सामान्य वर्ग के युवक या युवती को ही करना होगा।
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज़
आवेदन करते समय पात्र दंपति को निर्धारित प्रपत्र के साथ निम्न दस्तावेज़ संलग्न करने होंगे:
- आयु प्रमाणपत्र (मैट्रिक सर्टिफिकेट या पंचायत प्रमाणपत्र)
- जाति प्रमाणपत्र (राजस्व अधिकारी द्वारा जारी)
- हिमाचली निवासी प्रमाणपत्र
- विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र
- आधार कार्ड और राशन कार्ड की प्रतियां
- ग्राम पंचायत प्रधान की मधुर संबंध रिपोर्ट
शपथ पत्र और सत्यापन प्रक्रिया
आवेदक को यह शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा कि उसने पहले यह पुरस्कार प्राप्त नहीं किया है। आवेदन के साथ सभी दस्तावेज़ संबंधित तहसील कल्याण अधिकारी को जमा किए जाएंगे, जो जांच के बाद रिपोर्ट तैयार करेंगे। सत्यापन पूर्ण होने पर पात्र दंपति के खाते में दो लाख रुपए की सहायता राशि जारी की जाएगी।
आयु सीमा का पालन अनिवार्य
योजना का लाभ तभी मिलेगा जब —
- युवक की आयु कम से कम 21 वर्ष हो,
- युवती की आयु कम से कम 18 वर्ष हो।
राज्य सरकार का उद्देश्य
सरकार का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य समाज में समानता, साम्प्रदायिक सौहार्द और जातिगत भेदभाव को समाप्त करना है। यह वित्तीय सहायता ऐसे दंपतियों के लिए प्रोत्साहन के रूप में दी जा रही है जो सामाजिक बंधनों से ऊपर उठकर विवाह करते हैं।
















