
उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल गंगा एक्सप्रेसवे अपने अंतिम चरण में है। मेरठ से प्रयागराज तक 594 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे की भौतिक प्रगति अब 93.27 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। लेकिन प्रयागराज के सोरांव क्षेत्र के कुछ गांवों में भूमि अधिग्रहण विवाद अभी भी सिरदर्द बना हुआ है।
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एडीएम सिटी ने दिए निर्देश
शुक्रवार को आयोजित परियोजना समीक्षा बैठक में एडीएम सिटी सत्यम मिश्र ने निर्माण एजेंसियों और इंजीनियरों को सख्त निर्देश दिए कि वे सोरांव क्षेत्र के किसानों से संवाद कर उनकी शिकायतों का समाधान करें। उन्होंने एसडीए सोरांव को भी इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने को कहा ताकि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों का जल्द निस्तारण हो सके।
किन गांवों में विवाद जारी है
प्रयागराज में परियोजना की कुल लंबाई 15.647 किलोमीटर है। यहां ग्राम सभा पूरबनारा, सराय मदन सिंह (चांटी), गिरधरपुर गोड़वा और सराय हरीराम में कुछ काश्तकार भूमि अधिग्रहण से असंतुष्ट हैं। एडीएम ने कहा कि संवाद और समझौते के ज़रिए विवाद को खत्म किया जाएगा ताकि प्रोजेक्ट टाइमलाइन प्रभावित न हो।
दो प्रोजेक्ट्स 98% तक पूरे, बाकी जल्द तैयार
राष्ट्रीय मार्ग खंड के सहायक अभियंता ने बैठक में बताया कि पांच करोड़ से अधिक लागत वाले दो सब-प्रोजेक्ट्स लगभग पूरे हो चुके हैं, जिनकी प्रगति 98 प्रतिशत है। अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में ये हिस्से पूरी तरह से चालू स्थिति में आ जाएंगे।
प्रयागराज इनर रिंग रोड भी तीन चरणों में बन रहा
गंगा एक्सप्रेसवे के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की एक और बड़ी परियोजना — प्रयागराज इनर रिंग रोड भी तेजी से आगे बढ़ रही है। यह मार्ग तीन फेज़ में तैयार किया जा रहा है, हालांकि कुछ किसानों के बीच अंश निर्धारण (land share fixing) को लेकर असहमति चल रही है।
किसानों से संवाद की प्रक्रिया शुरू
एडीएम सिटी ने एनएच विभाग, पुलिस और उपजिलाधिकारी को कहा है कि वे किसानों से नियमित संवाद करें और हर स्तर पर संतोषजनक समाधान निकालें। अधिकारियों का कहना है कि लक्ष्य है “विकास और किसानों, दोनों के हितों में संतुलन।” सरकार चाहती है कि प्रयागराज समेत सभी जिलों में यह मेगा प्रोजेक्ट बिना रुकावट समय पर पूरा हो।
















