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हाईकोर्ट ने 80 साल के बुजुर्ग को दिलाई 7 करोड़ की जमीन सिर्फ 14 हजार में, 62 साल चला केस

80 साल के बुजुर्ग ने 62 साल तक न्याय के लिए लड़ा कानूनी संग्राम। आखिरकार हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला—सिर्फ ₹14,000 देकर मिली 7 करोड़ की जमीन, पूरे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई!

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एक 80 वर्षीय बुजुर्ग ने दशकों लंबे संघर्ष के बाद अपनी जमीन पर अधिकार पा लिया। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस ऐतिहासिक फैसले से न केवल इंसाफ किया, बल्कि पुराने जमीन सौदों की अहमियत को भी रेखांकित किया। यह मामला 1963 से चला आ रहा था, जब बुजुर्ग की मां ने एक डेवलपर कंपनी से प्लॉट बुक किए थे।

हाईकोर्ट ने 80 साल के बुजुर्ग को दिलाई 7 करोड़ की जमीन सिर्फ 14 हजार में, 62 साल चला केस

जमीन खरीद की शुरुआत

1963 में सूरजकुंड इलाके के पास दो प्लॉट बुक हुए थे। बुजुर्ग की मां ने कुल कीमत का बड़ा हिस्सा चुका दिया था। लेकिन डेवलपर ने विभिन्न सरकारी नियमों का हवाला देकर कब्जा नहीं सौंपा। सालों तक इंतजार के बाद परिवार ने कानूनी रास्ता अपनाया। निचली अदालतों ने पक्ष में फैसले सुनाए, लेकिन अपील पर मामला हाईकोर्ट पहुंच गया।

लंबी अदालती जंग

यह विवाद 62 साल तक चला। डेवलपर ने पंजाब शेड्यूल्ड रोड्स एक्ट और हरियाणा डेवलपमेंट ऐक्ट जैसे कानूनों का सहारा लिया। उन्होंने दावा किया कि जमीन पर निर्माण प्रतिबंधित है। बुजुर्ग ने हर स्तर पर लड़ाई लड़ी। 2002 में हाईकोर्ट में पहुंचे मामले में जजों ने सभी बहानों को खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि देरी का फायदा कोई नहीं ले सकता।

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि डेवलपर मूल कीमत पर थोड़ी सी अतिरिक्त राशि लेकर कब्जा सौंपे। यह जमीन मात्र 14 हजार रुपये में बुक हुई थी, जो आज 7 करोड़ रुपये की हो चुकी है। 5103 वर्ग फुट क्षेत्र वाली यह संपत्ति फरीदाबाद के प्रमुख इलाके में है। फैसला 22 पेज का विस्तृत है, जिसमें पुराने अनुबंधों को प्राथमिकता दी गई।

बुजुर्ग की जिंदगी भर की मेहनत

बुजुर्ग, जिनकी उम्र अब 80 पार हो चुकी, ने मां के सपने को पूरा किया। उन्होंने बताया कि यह जमीन परिवार की आर्थिक सुरक्षा का आधार बनेगी। लंबी लड़ाई ने उन्हें कई बार हताश किया, लेकिन विश्वास ने साथ नहीं छोड़ा। अब वे शांति से जीवन बिता सकेंगे।

इस फैसले से सबक

यह केस संपत्ति विवादों में न्याय व्यवस्था की ताकत दिखाता है। कई लोग पुराने सौदों से बचते हैं, लेकिन यह साबित करता है कि कानून पक्ष लेता है। डेवलपर्स को चेतावनी मिलती है कि वादे निभाने होंगे। छोटे निवेशकों के लिए यह प्रेरणा है कि धैर्य रखें। भविष्य में ऐसे मामले तेजी से निपटाए जाएं, ताकि इंसाफ में देरी न हो।

यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि कानूनी प्रक्रिया कितनी लंबी हो सकती है। फिर भी, अंत में सत्य की जीत होती है। बुजुर्ग की कहानी लाखों लोगों को प्रोत्साहित करेगी। 

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