महंगाई का असर अब हर घर की रसोई तक महसूस होने लगा है। एलपीजी गैस से लेकर बिजली और किराने के सामान तक, सबकी कीमतें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। हर महीने की शुरुआत में तेल कंपनियाँ एलपीजी सिलेंडर की नई दरें जारी करती हैं ताकि उपभोक्ता अपने शहर की मौजूदा कीमतों की जानकारी रख सकें। दिसंबर 2025 में भी कई राज्यों में नए रेट लागू कर दिए गए हैं।

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घरेलू एलपीजी सिलेंडर, कीमतों में स्थिरता
14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में इस बार कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। पिछले कुछ महीनों से दरें लगभग समान बनी हुई हैं, जिससे उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है। देश के कुछ प्रमुख शहरों की मौजूदा कीमतें निम्नलिखित हैं:
- नई दिल्ली: ₹853
- पटना: ₹942
- गुजरात: ₹860
- हरियाणा: ₹854
- त्रिपुरा: ₹1,013
- मिजोरम: ₹1,005
राज्यों के बीच यह अंतर स्थानीय टैक्स और ट्रांसपोर्ट खर्च के कारण होता है।
कमर्शियल सिलेंडर कीमतों में हल्की गिरावट
व्यावसायिक उपयोग के लिए इस्तेमाल होने वाले 19 किलो वाले कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतों में पिछले महीनों के मुकाबले थोड़ी नरमी आई है। इससे होटल, रेस्टोरेंट और छोटे व्यवसायों को कुछ आर्थिक राहत मिली है। प्रमुख राज्यों में मौजूदा औसत दरें हैं:
- उत्तर प्रदेश: ₹1,845
- आंध्र प्रदेश: ₹1,880
यह गिरावट व्यापारियों और छोटे उद्यमों के लिए लाभदायक मानी जा रही है।
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सरकार की तरफ से सब्सिडी का लाभ
सरकार कुछ पात्र उपभोक्ताओं को एलपीजी सब्सिडी का लाभ देती है। इस योजना में लाभार्थी को सिलेंडर की पूरी राशि चुकानी होती है, जिसके बाद सब्सिडी राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि सब्सिडी केवल उन्हीं उपभोक्ताओं को मिलती है जो सरकार द्वारा तय आय सीमा और नियमों के तहत पात्र हैं। इससे ज़रूरतमंद परिवारों को रसोई खर्च में थोड़ी मदद मिलती है।
क्यों बदलती हैं गैस सिलेंडर की कीमतें?
गैस सिलेंडर की दरें केवल सरकारी नीतियों पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार और आर्थिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करती हैं। कीमतों में बदलाव के पीछे ये मुख्य कारण रहते हैं:
- वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव
- भारतीय रुपए और अमेरिकी डॉलर के बीच विनिमय दर
- केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स
- सप्लाई और डिमांड में असंतुलन
- तेल कंपनियों की लागत और वितरण खर्च
इन सभी तत्वों के प्रभाव से हर महीने एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी या स्थिरता देखने को मिलती है।
















