महाराष्ट्र सरकार की लोकप्रिय “माझी लाडकी बहिन योजना” अब सख्त निगरानी के दौर में है। सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि जिसने पात्रता मानदंड पूरा किए बिना इस योजना का लाभ उठाया है, उनसे पूरी राशि वापस ली जाएगी।

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जांच में सामने आए चौंकाने वाले मामले
राज्य की जांच टीम ने हाल के महीनों में योजना से जुड़े लाभार्थी खातों की गहन जांच की। रिपोर्ट में यह पाया गया कि कई लोगों ने झूठी जानकारी देकर हर महीने 1,500 रुपये का फायदा उठाया। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें सरकारी कर्मचारी और पुरुष दोनों शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 1,526 सरकारी कर्मचारी और 14,298 पुरुष ऐसे पाए गए जिन्होंने योजना का लाभ अनुचित तरीके से लिया।
करोड़ों रुपये गलत खातों में गए
सरकार की समीक्षा रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि लगभग 35 करोड़ रुपये की राशि ऐसे लोगों को दी गई जो योजना के दायरे में नहीं आते थे। इन मामलों में कई परिवारों की आय पात्रता सीमा से अधिक थी, जबकि कुछ ने एक ही परिवार में एक से अधिक सदस्य के नाम पर सहायता राशि ली। ऐसे लोगों से अब राशि की वसूली शुरू की जा रही है, साथ ही सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई भी प्रस्तावित है।
ई-केवाईसी अब अनिवार्य, 31 दिसंबर अंतिम तिथि
सरकार ने योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है। ई-केवाईसी की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तय की गई है। जिन लाभार्थियों का ई-केवाईसी पूरा नहीं होगा, उनके नाम योजना की सूची से हटाए जा सकते हैं। वहीं, जिन महिलाओं का ई-केवाईसी पूरा होगा, उन्हें नवंबर और दिसंबर की अटकी हुई दोनों किश्त एक साथ मिलेगी।
किन्हें मिलता है इस योजना का लाभ
‘माझी लाडकी बहिन योजना’ आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता का माध्यम है। इसके तहत 21 से 65 वर्ष की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाएं पात्र हैं, बशर्ते उनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम हो। परिवार में कोई सरकारी कर्मचारी न हो, कोई इनकम टैक्स न देता हो और ट्रैक्टर के अलावा कोई चार पहिया वाहन न हो। इसके अलावा, किसी सांसद या विधायक के परिवार के सदस्य भी पात्र नहीं माने जाते।
सरकार का संदेश
राज्य सरकार ने सभी लाभार्थियों से अपील की है कि योजना का उद्देश्य जरूरतमंद महिलाओं तक सहायता पहुंचाना है, न कि गलत जानकारी से लाभ लेना। जिन महिलाओं ने स्वयं नाम वापस लिया या जिनके नाम सत्यापन के बाद हटाए गए, उनसे कोई वसूली नहीं की जाएगी। सरकार का लक्ष्य योजना को पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और ईमानदार ढंग से लागू करना है।
















