उत्तर प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आ गया है। पहले जहां आसानी से लाइसेंस मिल जाता था, अब सख्त टेस्ट और सेंसर सिस्टम से हर कदम की जांच होती है। एक छोटी गलती पर पूरा आवेदन खारिज हो सकता है, जिससे लाखों युवा परेशान हैं।

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नई ट्रैक टेस्ट सिस्टम की सच्चाई
अब परमानेंट लाइसेंस के लिए लर्नर पास करने के बाद ऑटोमेटेड ट्रैक टेस्ट देना पड़ता है। बाइक या कार से 8 पॉइंट वाला ट्रैक 3.25 मिनट में पूरा करना होता है। सेंसर लाइनें छू लीं तो तुरंत बीप बजता है और वीडियो रिकॉर्डिंग में फेल दर्ज हो जाता है। कार में पैरेलल पार्किंग, चढ़ाई और रिवर्स के लिए सटीक समय सीमा है – 45-45 सेकंड या ट्रक के लिए 60-75 सेकंड।
यह सिस्टम सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। पहले मैनुअल टेस्ट में भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं, लेकिन अब कैमरे हर मूवमेंट कैद करते हैं। फेल होने पर दोबारा स्लॉट बुकिंग करनी पड़ती है, जो हफ्तों ले सकती है।
सिम्युलेटर ट्रेनिंग का नया नियम
टेस्ट से पहले 5 मिनट का सिम्युलेटर सेशन अनिवार्य है। यह वर्चुअल ट्रैफिक सिमुलेशन की तरह काम करता है, जहां स्पीड कंट्रोल और नियम सीखने पड़ते हैं। दोपहिया वाहनों के लिए अलग ट्रैक है, लेकिन सेंसर गेट सभी पर नजर रखते हैं। कई युवा यहां असफल हो रहे हैं क्योंकि प्रैक्टिस की कमी रह जाती है।
प्रशिक्षण केंद्रों पर अब निजी एजेंसियां जैसे सिल्वर टच या फोकाम नेट काम संभाल रही हैं। इससे प्रक्रिया तेज हुई है, रोज 10 हजार आवेदन प्रोसेस हो रहे हैं। लेकिन पारदर्शिता बढ़ने से जुगाड़ का रास्ता बंद हो गया।
आवेदन प्रक्रिया में बदलाव
ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग ARTO ऑफिस से शुरू होती है। बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के बाद ट्रेनिंग सेंटर जैसे उदेतखेड़ा पहुंचना पड़ता है। दस्तावेज पूरे होने पर ही टेस्ट की अनुमति मिलती है। देरी या अधूरी जानकारी पर आवेदन रद्द। निजी कंपनियों के आने से 1 दिसंबर 2025 से सुधार दिखा है।
फीस में भी मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन स्मार्ट कार्ड DL के लिए अतिरिक्त शुल्क। रिन्यूअल भी इसी सिस्टम से होगा, पुराने लाइसेंस धारकों को अपडेट कराना जरूरी।
सफल टेस्ट के लिए खास टिप्स
ट्रैक पर सेंसर लाइनों से दूर रहें और स्पीड कंट्रोल रखें। पहले सिम्युलेटर पर अच्छी प्रैक्टिस लें। वीडियो ट्यूटोरियल देखकर नियम समझें। स्लॉट पहले बुक करें ताकि इंतजार न हो। पार्किंग में धैर्य रखें, जल्दबाजी फेल करा देगी।
ये बदलाव सड़क हादसों को कम करने के उद्देश्य से हैं। योगी सरकार का यह कदम लंबे समय में फायदेमंद साबित होगा। अब सिर्फ स्किल्ड ड्राइवर ही लाइसेंस पा सकेंगे।
















