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क्या चालक की गलती से सवारी राइडर भी माना जाएगा दोषी? सुप्रीम कोर्ट ने साफ की कानूनी स्थिति—जानें फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर दुर्घटनाओं में ड्राइवर की लापरवाही का दोष यात्री पर नहीं डाला जा सकता। अगर हादसा चालक की गलती से हुआ है तो यात्री या उसके परिजन मुआवजे के हकदार रहेंगे। बीमा कंपनियां ऐसे मामलों में देयता से बच नहीं सकेंगी, जब तक यात्री की ओर से कोई सीधी लापरवाही साबित न हो।

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क्या चालक की गलती से सवारी राइडर भी माना जाएगा दोषी? सुप्रीम कोर्ट ने साफ की कानूनी स्थिति—जानें फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए साफ किया है कि मोटर दुर्घटना के मामलों में ड्राइवर की लापरवाही (contributory negligence) का दोष अब यात्रा कर रहे यात्री पर नहीं डाला जा सकता। यानी अगर कोई एक्सीडेंट ड्राइवर की गलती से हुआ है, तो सिर्फ यात्री होने की वजह से सवारी (rider या passenger) को दोषी नहीं ठहराया जाएगा।

ड्राइवर की गलती यात्री की नहीं

कोर्ट ने कहा कि वाहन का संचालन पूरी तरह ड्राइवर के नियंत्रण में होता है। यात्री न तो गाड़ी चलाने के तरीके को नियंत्रित कर सकता है और न ही ड्राइवर के फैसलों पर असर डाल सकता है। इसलिए किसी यात्री को “ड्राइवर का एजेंट” नहीं माना जा सकता। इस आधार पर किसी दुर्घटना में यात्री को ड्राइवर की गलती के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

मुआवजा घटाया नहीं जा सकता

अगर किसी सड़क दुर्घटना में यात्री की मौत हो जाती है या वह घायल होता है, तो उसे या उसके कानूनी उत्तराधिकारी को पूरा मुआवजा पाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजे की राशि को इस आधार पर कम नहीं किया जा सकता कि एक्सीडेंट में ड्राइवर की भी गलती थी। मुआवजा देते समय केवल यात्री की अपनी लापरवाही को ही देखा जाएगा।

बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी तय

कोर्ट के फैसले से बीमा कंपनियों की भूमिका भी स्पष्ट हो गई है। अब वे इस तर्क के आधार पर अपनी देयता (liability) से बच नहीं सकतीं कि दुर्घटना चालक की गलती से हुई थी। जब तक यह साबित न हो जाए कि यात्री ने खुद कोई लापरवाही की थी जैसे तेज़ चलाने के लिए ड्राइवर को उकसाना या असुरक्षित व्यवहार करना तब तक बीमा कंपनी को मुआवजा देना ही होगा।

केवल सक्रिय लापरवाही होगी दंडनीय

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर यात्री खुद किसी ऐसे व्यवहार में शामिल था, जिससे दुर्घटना हुई (जैसे शराब पीकर ड्राइवर को उकसाना, सीट बेल्ट न लगाना, या वाहन की सुरक्षा नियमों की अनदेखी करना), तो उस स्थिति में contributory negligence मानी जाएगी। लेकिन सिर्फ पीछे बैठने भर से यात्री दोषी नहीं बनता।

कानूनी रूप से बड़ा संदेश

यह फैसला यात्रियों के अधिकारों की दिशा में एक अहम कदम है। यह न केवल कानून स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सड़क दुर्घटनाओं में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी अलग-अलग परिभाषित की जानी चाहिए। अब “ड्राइवर की गलती का दाग” यात्रियों पर नहीं लगाया जा सकेगा।

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