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Property Law: चार बेटे हैं तो क्या चारों को बराबर बांटनी होगी प्रॉपर्टी? जानें विरासत में बंटवारा करने का सही तरीका

अगर आपके चार बेटे हैं तो क्या प्रॉपर्टी चार बराबर हिस्सों में बंटेगी? जानें हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत संपत्ति बंटवारे के असली नियम, जिससे हक सही जगह पहुंचे और विवादों से बचा जा सके।

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परिवार में पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का बंटवारा अक्सर भाइयों के बीच तनाव पैदा कर देता है। खासकर जब चार बेटे हों, तो सवाल उठता है कि क्या हरेक को बिल्कुल समान हिस्सा मिलना चाहिए। वास्तव में, यह संपत्ति के प्रकार पर निर्भर करता है – कुछ मामलों में हां, तो कुछ में नहीं। सही जानकारी से आप विवादों से बच सकते हैं और न्यायपूर्ण तरीके से आगे बढ़ सकते हैं।

Property Law: चार बेटे हैं तो क्या चारों को बराबर बांटनी होगी प्रॉपर्टी? जानें विरासत में बंटवारा करने का सही तरीका

पैतृक संपत्ति क्या है और कैसे बंटती है?

पैतृक संपत्ति वह होती है जो दादा या परदादा से चली आ रही हो, जैसे पुरानी जमीन या मकान। इस तरह की प्रॉपर्टी में सभी बेटों का जन्म से ही स्वाभाविक अधिकार होता है। चार बेटों वाले परिवार में यह बराबर चार भागों में बंट जाएगी, क्योंकि कानून सभी को समान मानता है। अगर कोई बेटा पहले ही चल बसा हो, तो उसके पुत्र या पुत्री उसका हिस्सा ले लेंगे। इस संपत्ति को बेचने या बदलने के लिए हर वारिस की सहमति जरूरी होती है।

स्व-अर्जित संपत्ति के अलग नियम

जो संपत्ति पिता ने खुद की मेहनत से कमाई हो – जैसे नौकरी, बिजनेस या निवेश से खरीदी गई – वह स्व-अर्जित कहलाती है। यहां चारों बेटों को अपने आप बराबर हिस्सा नहीं मिलता। पिता अपनी मर्जी से वसीयत लिखकर इसे किसी एक को दे सकते हैं या असमान बांट सकते हैं। अगर वसीयत न हो, तो मृत्यु के बाद कोर्ट सभी कानूनी वारिसों को बराबर हिस्सा देगा, लेकिन यह पिता की इच्छा पर निर्भर रहता है। जीवित रहते गिफ्ट डीड या रजिस्ट्री से भी बंटवारा आसान हो जाता है।

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बेटियों का हक भी बराबर क्यों?

अब बेटियां भी पैतृक संपत्ति में बेटों जैसा पूरा अधिकार रखती हैं। पुराने नियम बदल चुके हैं, और विवाह के बाद भी उनका हक बना रहता है। चार बेटों के अलावा अगर बेटियां हों, तो उन्हें भी समान हिस्सा मिलेगा। स्व-अर्जित संपत्ति में भी वसीयत न होने पर बेटियां शामिल होंगी। यह बदलाव परिवारों में लैंगिक समानता लाता है और झगड़ों को कम करता है।

सही बंटवारे की प्रक्रिया

सबसे पहले दस्तावेजों से जांचें कि संपत्ति पैतृक है या स्व-अर्जित। फिर परिवार की बैठक बुलाकर सहमति बनाएं। सहमति न हो तो स्थानीय तहसील या कोर्ट में बंटवारा आवेदन दें। वकील की मदद से रजिस्टर्ड एग्रीमेंट बनवाएं ताकि भविष्य में दावा न हो। टैक्स और स्टांप ड्यूटी के नियमों का भी ध्यान रखें। समय पर कार्रवाई से प्रक्रिया तेज और सस्ती रहती है।

विवादों से बचने के व्यावहारिक टिप्स

पिता जीवित रहते वसीयत जरूर बनवाएं और सभी को कॉपी दें। संपत्ति के कागजात सुरक्षित रखें। अगर भाई बहन अलग रहते हैं, तो उनकी जरूरतों को ध्यान में रखकर फैसला लें। करंट मार्केट वैल्यू का आकलन करवाकर नकद या प्रॉपर्टी स्वैप का विकल्प चुनें। अंत में, पारिवारिक एकता सबसे बड़ी संपत्ति है – कानूनी रास्ता अपनाकर इसे बचाएं।

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