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Railway Update: बस की तरह ट्रेन में भी सीट पर बनेगा टिकट! TTE के पास होगी हैंडहेल्ड मशीन, अब वेटिंग वालों की टेंशन खत्म

उत्तर रेलवे ने त्योहारों की भीड़ से राहत के लिए m-UTS सुविधा शुरू की। रेलकर्मी प्लेटफॉर्म पर घूम-घूमकर हल्की मशीन से अनरिजर्व्ड टिकट बेचेंगे। पहले चारबाग, अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज पर 35 मशीनें। अब काउंटर की लाइन से बचें, आसानी से टिकट लें!

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railways ticket will hear at station what is the new ticketing system of the railways

त्योहारों के सीजन में रेलवे स्टेशनों पर टिकट काउंटरों की लंबी-लंबी लाइनें देखकर तो हर यात्री तंग आ जाता है। दशहरा, दीवाली या छठ के समय तो हालात और भी खराब हो जाते हैं। लेकिन उत्तर रेलवे ने अब एक कमाल की सुविधा शुरू कर दी है, जिससे आपको काउंटर पर धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। रेलकर्मी अब प्लेटफॉर्म पर फेरीवाले की तरह घूम-घूमकर टिकट बेचेंगे।

m-UTS क्या है? समझिए आसान भाषा में

यह नई व्यवस्था m-UTS यानी मोबाइल अनरिजर्व्ड टिकटिंग सिस्टम पर चलती है। एक हल्की-फुल्की, वायरलेस मशीन लेकर रेलवे के कर्मचारी प्लेटफॉर्म पर आ जाएंगे। यह मशीन बस स्टैंड वाली टिकट मशीन जैसी लगती है, लेकिन रेल टिकट के लिए खास। आप कहीं भी खड़े होकर, बिना लाइन लगाए, अपना अनरिजर्व्ड टिकट ले लेंगे। ट्रेन आने का समय हो या प्लेटफॉर्म पर भीड़, सब आसान हो जाएगा।

प्लेटफॉर्म पर टिकट, कितना सुविधाजनक!

सोचिए, आप प्लेटफॉर्म पर चाय पी रहे हैं या सामान संभाल रहे हैं, तभी रेलकर्मी आ जाएंगे और पल भर में टिकट कट जाएगा। कोई घंटों इंतजार नहीं, कोई धक्का-मुक्की नहीं। खासकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों वाले परिवारों के लिए यह वरदान जैसा है। त्योहारों में घर लौटने की जल्दी में यह सुविधा जान बचा लेगी।

कहां-कहां शुरू हुई यह सेवा?

पहले चरण में उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में चार बड़े स्टेशनों पर यह सुविधा लागू हो गई है। चारबाग, अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज जंक्शन पर रेलकर्मी मशीनें लेकर घूमेंगे। चारबाग, अयोध्या और वाराणसी को 10-10 मशीनें मिली हैं, जबकि प्रयागराज को 5। कुल 35 मशीनों से शुरुआत हुई है। जल्द ही और स्टेशनों पर फैलेगी।

क्यों जरूरी थी यह नई व्यवस्था?

रेलवे स्टेशनों पर त्योहारों के समय भीड़ इतनी होती है कि टिकट लेना ही सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। काउंटर पर घंटों लाइन लगानी पड़ती है, ट्रेन छूट जाती है। m-UTS से न सिर्फ समय बचेगा, बल्कि स्टेशन पर अव्यवस्था भी कम होगी। रेलवे का मकसद है कि हर यात्री को आसानी से टिकट मिले और यात्रा सुगम हो।

भविष्य में क्या उम्मीदें?

यह सुविधा सफल रही तो पूरे उत्तर रेलवे और फिर देशभर में फैल जाएगी। डिजिटल टिकटिंग के जमाने में भी अनरिजर्व्ड यात्रियों की संख्या लाखों में है। m-UTS से रेलवे की आय भी बढ़ेगी और यात्रियों का भरोसा मजबूत होगा। अगले त्योहारों में आपको बस प्लेटफॉर्म पर इंतजार करना है, टिकट खुद-ब-खुद आ जाएगा।

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