रिजर्व बैंक ने एक छोटे सहकारी बैंक पर करारा प्रहार किया है। कमजोर आर्थिक हालत देखते हुए लाइसेंस रद्द कर दिया गया। लाखों ग्राहक अब सोच में पड़े हैं कि आगे क्या होगा। आइए इस पूरी खबर के बारे में विस्तार से आगे पढ़ते हैं।

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बैंकिंग सिस्टम में सख्ती क्यों?
सहकारी बैंक अक्सर छोटे स्तर पर काम करते हैं और स्थानीय जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन जब उनकी पूंजी घट जाती है और नियमों का पालन नहीं होता, तो RBI एक्शन लेता है। इस बार बैंक की आय की कोई उम्मीद न दिखने से फैसला लिया गया। अगर बैंक चलता रहता तो जमाकर्ताओं को भारी नुकसान होता।
ग्राहक अब क्या करें?
बैंक तुरंत बंद हो गया है। नया जमा स्वीकार नहीं होगा और पुराने पैसे भी आसानी से नहीं निकलेंगे। लेकिन चिंता कम करें – ज्यादातर मामलों में 5 लाख रुपये तक की जमा राशि सुरक्षित रहती है। डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम हर खाते को कवर करती है। बैंक की संपत्ति बेचकर बाकी पैसे बांटे जाएंगे।
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लिक्विडेशन प्रक्रिया कैसे चलेगी?
रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज लिक्विडेटर नियुक्त करेगा। बैंक की प्रॉपर्टी, लोन रिकवरी सब बेचा जाएगा। छोटे जमाकर्ता पहले पैसे पा लेंगे। बड़े अकाउंट होल्डर्स को इंतजार करना पड़ेगा। पूरी प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं।
ऐसे झटकों से कैसे बचें?
- बड़े और मजबूत बैंकों का चयन करें।
- एक जगह 5 लाख से ज्यादा न रखें।
- RBI की वेबसाइट पर अलर्ट्स चेक करें।
- सहकारी बैंकों में कम रिस्क लें।
भविष्य में क्या उम्मीद?
RBI लगातार छोटे बैंकों पर नजर रख रहा है। पिछले साल कई लाइसेंस रद्द हो चुके हैं। इससे सिस्टम मजबूत बनेगा। ग्राहक जागरूक रहें तो नुकसान कम होगा। सलाह है, पैसे बांटकर रखें और नियमित चेक करें।
















