फोन पर EMI रिमाइंडर वॉलपेपर आना अब आम बात हो गई है, खासकर जब आप किस्तों पर स्मार्टफोन लेते हैं। यह एक स्मार्ट तरीका है जो फाइनेंशियल कंपनियां अपनाती हैं ताकि ग्राहक समय पर पेमेंट करें। अगर आपने भी लोन लेकर फोन लिया है, तो स्क्रीन पर अचानक बदलाव देखकर घबराएं नहीं।

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EMI अलर्ट का नया ट्रिक
आजकल फोन खरीदते समय दुकानदार या फाइनेंसर एक स्पेशल सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर देते हैं। यह सिस्टम आपकी EMI की ड्यू डेट ट्रैक करता रहता है। जैसे ही किस्त का समय नजदीक आता है, आपकी होम स्क्रीन या लॉकस्क्रीन पर एक मैसेज वाला वॉलपेपर खुद-ब-खुद सेट हो जाता है। इसमें लिखा होता है कि EMI भर दो वरना आगे परेशानी हो सकती है। यह तरीका SMS या कॉल से ज्यादा प्रभावी साबित होता है क्योंकि हर बार फोन अनलॉक करने पर नजर आता है। कई बार यह वॉलपेपर इतना बड़ा होता है कि पुराना डिजाइन छिप जाता है।
यह सिस्टम कैसे एक्टिव होता है
जब आप नो-कॉस्ट EMI या जीरो डाउन पेमेंट स्कीम चुनते हैं, तो फोन में बैकग्राउंड ऐप चालू हो जाता है। यह ऐप बैंक के सर्वर से जुड़कर चेक करता है कि पेमेंट हुआ या नहीं। ड्यू डेट मिस होने पर यह वॉलपेपर चेंज कर देता है। कुछ कंपनियां इसमें और सख्ती करती हैं, जैसे फोन को आंशिक लॉक करना या ऐप्स ब्लॉक करना। लेकिन ज्यादातर मामलों में सिर्फ रिमाइंडर ही लगता है। पेमेंट कन्फर्म होते ही सब नॉर्मल हो जाता है। यह सुविधा मुख्य रूप से बजाज फिनसर्व, टीवीएस क्रेडिट जैसी कंपनियों में देखी जाती है।
वॉलपेपर बदलने के आसान उपाय
अगर यह अलर्ट आपको परेशान कर रहा है, तो सबसे पहले ऐप सेटिंग्स चेक करें। गैलरी से नया वॉलपेपर सेट करने की कोशिश करें, लेकिन ऐप एक्टिव होने पर यह वापस आ सकता है। दूसरा तरीका है फोन को हार्ड रीसेट करना। इसके लिए पावर बटन और वॉल्यूम डाउन बटन को एक साथ दबाकर रखें जब तक रिकवरी मोड न आए। वहां फैक्ट्री रीसेट चुनें और डिफॉल्ट पिन जैसे 7559 या 759 डालें। ध्यान दें, इससे सारा डेटा मिट जाएगा, इसलिए पहले बैकअप लें। अगर समस्या बनी रहे, तो फाइनेंसर के कस्टमर केयर पर कॉल करें और पेमेंट स्टेटस शेयर करें।
लोन लेते समय सावधानियां
EMI पर फोन लेना सुविधाजनक है, लेकिन शर्तें अच्छे से पढ़ लें। हमेशा समय पर किस्त भरें ताकि क्रेडिट स्कोर खराब न हो। नो-कॉस्ट EMI चुनें जहां ब्याज अलग न लगे। प्राइवेसी का ध्यान रखें, क्योंकि ऐप आपकी लोकेशन या यूज डेटा ट्रैक कर सकता है। भविष्य में ऐसे फीचर्स और बढ़ सकते हैं, इसलिए बजट बनाकर ही खरीदारी करें। इससे न सिर्फ फोन सुरक्षित रहता है, बल्कि वित्तीय Discipline भी बनती है। कुल मिलाकर, यह रिमाइंडर सिस्टम ग्राहक और कंपनी दोनों के हित में है।
















