किराएदारों के लिए अच्छी खबर! सरकार ने किरायेदारी के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे किराए पर रहने वालों को मजबूत सुरक्षा कवच मिलेगा। ये नए प्रावधान मकान मालिकों की मनमानी को रोकेंगे और पारदर्शिता लाएंगे। शहरों में बढ़ते किराए के बोझ से जूझ रहे लाखों परिवारों को इससे राहत मिलेगी।

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अनिवार्य ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन
अब हर किराया समझौते को 60 दिनों के अंदर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करना जरूरी हो गया है। इसमें ई-स्टांप का इस्तेमाल होगा, जिससे कागजी झंझट खत्म हो जाएगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इससे दोनों पक्षों के पास कानूनी दस्तावेज रहेंगे, जो भविष्य के झगड़ों से बचाएंगे।
सीमित सिक्योरिटी डिपॉजिट
घर लेते समय अब मकान मालिक सिर्फ दो महीने के किराए से ज्यादा अग्रिम नहीं ले सकेंगे। दुकान या ऑफिस के लिए यह सीमा छह महीने की रहेगी। पहले कई जगह 10-10 महीने की डिपॉजिट मांग ली जाती थी, जो गरीब परिवारों पर भारी पड़ती थी। ये बदलाव किराएदारों की जेब पर दबाव कम करेगा।
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किराया बढ़ोतरी पर नियंत्रण
किराया साल में सिर्फ एक बार ही बढ़ाया जा सकेगा, वो भी 90 दिन पहले लिखित नोटिस देकर। अचानक महंगाई का झटका अब नहीं लगेगा। किराएदारों को समय मिलेगा प्लानिंग करने का, जैसे नया घर तलाशना या बजट समायोजित करना। इससे स्थिरता आएगी और अनावश्यक तनाव कम होगा।
बेदखली और निरीक्षण के सख्त नियम
मकान मालिक बिना विशेष ट्रिब्यूनल के आदेश के किराएदार को जबरन नहीं निकाल सकेंगे। घर में घुसने या जांच के लिए 24 घंटे पहले सूचना देनी पड़ेगी। बिजली-पानी काटना या धमकी देना अब सजा का कारण बनेगा। पुलिस सत्यापन अनिवार्य होने से सुरक्षा बढ़ेगी। विवाद 60 दिनों में निपटाए जाएंगे।
दोनों पक्षों को फायदा
मकान मालिकों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि डिजिटल रिकॉर्ड से उनकी संपत्ति सुरक्षित रहेगी। कुल मिलाकर ये नियम किरायेदारी को व्यवस्थित बनाएंगे, खासकर दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में। अगर आप किराए पर हैं तो जल्दी समझौता चेक करें। ये बदलाव 2026 से पूरी तरह लागू होंगे, इसलिए अभी से तैयार रहें।
















