उत्तर प्रदेश में पानी की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए राज्य सरकार ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। फ्री बोरिंग योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को खेतों में बोरिंग लगवाने के लिए भारी आर्थिक सहायता मिलेगी। यह योजना सिंचाई को आसान बनाकर फसल उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय को मजबूत करने पर केंद्रित है। ग्रामीण इलाकों में जहां नदियों या नहरों पर निर्भरता अधिक है, वहां यह सहायता जीवन बदलने वाली साबित हो रही है।

Table of Contents
योजना का उद्देश्य और लाभ
सरकार का लक्ष्य हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाना है, ताकि सूखे का डर हमेशा के लिए दूर हो जाए। छोटे किसानों को 5,000 रुपये तक, जबकि सीमांत और अनुसूचित जाति के किसानों को 10,000 रुपये तक की मदद दी जाती है। सामान्य श्रेणी को 70 प्रतिशत और विशेष श्रेणी को 90 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है। इससे न केवल बोरिंग लगवाना सस्ता होता है, बल्कि फसल चक्र साल भर चलाने की क्षमता भी बढ़ जाती है। गेहूं, धान जैसी फसलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती में भी यह योजना कारगर सिद्ध हो रही है। किसान अब बिना चिंता के बीज बो सकते हैं, क्योंकि पानी की गारंटी मिल चुकी है।
पात्रता के मानदंड
यह योजना उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों के लिए खुली है, जिनके पास न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर कृषि भूमि हो। छोटे-सीमांत किसान, गरीबी रेखा से नीचे के परिवार और एससी-एसटी वर्ग को प्राथमिकता मिलती है। महत्वपूर्ण शर्त यह है कि लाभार्थी किसी अन्य सिंचाई योजना का फायदा न ले रहे हों। परिवार में कोई सरकारी कर्मचारी न होना और केंद्र की पीएम किसान योजना में पंजीकरण अनिवार्य है। महिलाओं और युवा किसानों को भी अलग कोटा मिल सकता है, जिससे समावेशी विकास सुनिश्चित होता है। सत्यापन प्रक्रिया सख्त है, ताकि वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचे।
यह भी देखें- 6.81 लाख किसानों का कर्ज माफ! सरकार ने किया बड़ा ऐलान, जानें किसे मिलेगा फायदा
आवेदन प्रक्रिया क्या है?
आवेदन पूरी तरह डिजिटल है, जो किसानों को घर बैठे सुविधा देता है। लघु सिंचाई विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करें। आधार कार्ड, भूमि दस्तावेज, बैंक पासबुक और फोटो अपलोड करने पड़ते हैं। प्रक्रिया पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर चलती है, इसलिए जल्दी आवेदन करें। विभाग द्वारा क्षेत्रीय सत्यापन के बाद बोरिंग का कार्य प्रारंभ होता है। स्थिति ट्रैक करने के लिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर का उपयोग करें। कभी-कभी स्थानीय कार्यालय में जाकर सहायता ली जा सकती है।
योजना के प्रभाव और सलाह
पिछले वर्षों में हजारों किसानों ने इससे लाभ उठाया, जैसे कुछ जिलों में 3,000 से अधिक बोरिंग पूरी हुईं। इससे फसल उत्पादन में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। किसानों को सलाह है कि मौसम बदलने से पहले आवेदन पूरा करें, क्योंकि बजट सीमित होता है। रखरखाव पर ध्यान दें, ताकि बोरिंग लंबे समय तक चले। नजदीकी कृषि केंद्र से तकनीकी मार्गदर्शन लें। यह योजना न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम भी है।
















